abhi0612 | Date: Tuesday, 25.12.2012, 23:28 | Message # 1 |
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| मुझे आपसे आज एक ऐसे कॉन्सेप्ट को बताने का मौका मिल रहा है जिस पर शायद आज आपको बिल्कुल विश्वास नहीं हो, लेकिन यदि आपने इसे गंभीरता पूर्वक समझने की कोशिश की तो ज़रूर आपको महसूस होगा की इस कॉन्सेप्ट से हज़ारो लाखों लोगों की ज़िंदगियाँ बनाई और बदली जा सकती है और अपनी तो खुद बखुद बदल जाएगी. यह कॉन्सेप्ट रशिया के एक लोक प्रिय पेरसिओं मिस्टर. सेर्जी मवरोड़ी जी की दिमाग़ मे आया और वहाँ से शुरू होकर आज दुनिया के 90 से ज़्यादा देशों मे फैल चुका है और लगातार फैलता जा रहा है. भारत मे यह जुलाइ 2012 से चालू हुआ और अब तक लगभग 20,000 जागरूक लोगों तक पहुँच चुका है और बिजली की तरह पूरे देश मे फैलता जा रहा है.
क्या है यह कॉन्सेप्ट-------? ========================= दोस्तों !! यह कॉन्सेप्ट बेंकिंग प्रणाली पर आधारित है और "सहयोग दो तो सहयोग मिलेगा" के सिद्धांत पर काम करता है.वास्तव मे देखा जाए तो सभी बेंक अप्रत्यक्ष रूप से इसी सिद्धांत पर काम करते हैं. हमारा बेंक मे जमा पैसा दूसरों के काम आता है और बेंक द्वारा हमें मिलने वाला पैसा भी उस बेंक मे जमा किए हुए दूसरे लोगों का होता है.यानी बेंक में पैसा जमा करने वाले और बेंक से पैसा निकालने वाले हम सभी लोगों का पैसा ही एक दूसरे के काम आता है.लेकिन यह सब बेंक के माध्यम से होता है इसलिए दिखता नहीं है. लोग बेंकों मे अपना पैसा क्यो जमा करते हैं?
इसके 2 कारण है_____(1) पैसे की सुरक्षा के लिए और (2)पैसे का ब्याज मिलता है (1) आइए विचार करें क्या बॅंक मे जमा राशि सुरक्षित होती है ? जैसा की सबको पता है की बॅंक अपने यहाँ जमा राशि का लगभग आधा हिस्सा बॅंक मे रखता है जिससे बॅंक का दैनिक लेनदेन चलता है और आधा हिस्सा एक निश्चित टाइम के लिए हाइ इटेरेस्ट रते पर रोल करता है और काफ़ी बड़ा अमाउंट तैयार कर लेता है. अगर कभी ऐसा हो की बॅंक मे जमा अपना पैसा निकालने सभी लोग पहुँच जाएँ तो क्या बॅंक सब को भुगतान कर पाएगा ? बिल्कुल नहीं कर पाएगा क्योकि वो लोगों के पैसे को कहीं दूसरी जगह एक निश्चित टाइम के लिए इनवेस्ट किया हुआ है. तब बॅंक का क्या होगा ? क्या वो चलेगा ? बिल्कुल नहीं. दूसरी एक बात और जानने और समझने की है कि कभी भीकिसी आतंक,दैवी आपदा या अन्या किसी कारण से हुई बॅंक मे जमा राशि की क्षति होने की स्थिति मे रिज़र्व बॅंक द्वारा एक निश्चित अमाउंट ही लौटने का प्रावधान है, जमा चाहे जितना रहा हो. ऐसी स्तिथि मे देखा जाय तो बॅंक मे जमा पैसा सुरक्षित नहीं है फिर भी लोग बॅंक मे पैसा यह सब जानते हुए भी करते है और यह विस्वास करते हैं कि ऐसा नहीं होगा, जो भी होगा सब के साथ होगा. (2)बॅंक मे पैसा जमा करने का दूसरा कारण है की ब्याज मिलता है.आप सभी को पता है की लोगों को बॅंक द्वारा इंटेरेस्ट कम मिलता है लेकिन लोगों से बॅंक लेता ज़्यादा है. यानी लोगों के पैसे को हाइ इंटेरेस्ट रेट पर रोल करके बॅंक करोड़ों अरबो कमाता है लेकिन जिनके पैसो से यह कमाई करता है उन लोगो को सिर्फ़ 6-8 % मे ही संतोष करना पड़ता है.क्योकि आम आदमी के पास ना तो कोई ऐसा औसर है की वो भी अपने अमाउंट को हाइ इंटेरेस्ट रते पर रोल करके अपने अमाउंट को बड़ा कर सके और ना ही उसस्के पास लखो करोड़ो रुपया ही है की वो रोलिंग मे लगा सके.
हम आज जिस कॉन्सेप्ट की बात करने वाले हैं उसके द्वारा मिलता है आम आदमी को भी अपने पैसे को हाइ इंटेरेस्ट रेट पर रोलिंग का अवसर...!! आइए जानें कैसे होती है इससकी शुरुआत ???? सबसे पहले आपको जी०मेल में एक ई०मेल जेनरेट करनी होती है और साथ मे अपना नाम और मो०न० अपने टेन'स मॅनेजर को डाइरेक्ट या अपने सीनियर साथी के द्वारा लोग इन के लिए भेजना होटा है. लोग इन के बाद आप mmmindia.in की साइट पर आप मवरो करेंसी खरीदते हैं. मतलब आप 5000 से 50,000 किसी भी अमाउंट को घोषित करते हैं कि यह अमाउंट मैं MMMINDIA के पार्टिसिपेंट्स के हेल्प के लिए रखा हूँ. सिस्टम के रिक्वेस्ट पर मई इस अमाउंट को हेल्प में दूँगा! अमाउंट आपको किसी को देना नहीं है इससे अपने सेविंग ए/सी में ही रखना है. जिस दिन से आप यह डिक्लेर करते हैं उससी दिन से कम से कम 30% और अधिकतम 55% इंटेरेस्ट बढ़ना चालू हो जाता है. एक वीक मे 2 बार इंटेरेस्ट लगता है और आपका अमाउंट वेयर्चुयल ए/सी में सिस्टम में दिखता रहता है. जब भी सिस्टम आपको अर्जी भेजता है कि अमुक व्यक्ति के ए/सी में आप इतना अमाउंट डालें और आपको कॉन्सेप्ट पर विस्वास होता है तो आप उस के ए/सी मे पैसा डाल देते है. पैसा डालते ही आप भी अपना पैसा इंटेरेस्ट के साथ लेने के पात्र हो जाते हैं और आप भी गेट हेल्प का प्रोसेस कर देते हैं तो आपको भी सिस्टम द्वारा आपका अमाउंट आपके ए/सी मे डलवाया जाता है.पहली बार BUY MOVRO का प्रोसेस यानी हेल्प की राशि डिक्लेर करने मे नेट बॅंकिंग ज़रूरी नहीं है लेकिन सेकेंड बार नेट बॅंकिंग अनिवार्य है. दोस्तों यह कॉन्सेप्ट न्यू और अनोखा है. शुरुआत मे लोगों को विश्वास नहीं होता. सो 5000/- से शुरू करते हैं और उनको पैसा मिलने लगता है वा कॉन्सेप्ट क्लियर होता चला जाता है तो गिव हेल्प के अमाउंट को बढ़ाते चले जाते हैं और 50,000/- की रोलिंग भी करने लगते हैं.
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